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नदी घाटी और पहाड़ प्रिंट मीडिया 17 वें बर्ष आरम्भ

नदी घाटी और पहाड़ प्रिंट मीडिया 29 जनवरी 2008 को आरम्भ इसी जामणीखाल बाजार से प्रकाशित हुआ आज 17 वें बर्ष में प्रवेश हुआ यह सब गाँव में रहकर ही अब लौट चले गाँव को  पहल की शुरुआत भी इस सम्पादक ने अपने बालकों से  मकर संक्रान्ति के दिन  इसी ग्रामीण बाजार जामणीखाल में की ताकि हमारे पहाड़  जंहा जीवन की अमूल्य सम्पदां है हमारी घाटी जंहा जीवन की  अनमोल संस्कृति है  हमारी नदी जंहा असंख्य जीवन है सुरक्षित संरक्षित संग्रहित दिखे  के लिए  स्व रोजगार स्व वित पोषित ग्रामीण बाज़ार जामणीखाल में आरम्भ किया । पहाड़ के गाँव मानव विहीन और पशुधन विहीन खाली हो चुके यही प्रक्रिया रहेगी तो एक दिन पहाड़ में न जीवन रहेगा न संस्कृति रहेगी न जीवन जीने की अमूल्य सम्पदां आखिर यह सब पैसे के पीछे हो रहा है पैसा पहाड़ में रहकर भी कमाया जा सकता है परन्तु  ऐसा नहीं हो पा रहा समुचित सरकार और समुचित व्यवस्था भी असहाय दिख रही ।जिस उतराखंड राज्य का जन्म पहाड़ के गाँव की अवधारणा को लेकर ही हुआ और  पहाड़ के लोग वसत शहर में विदेश में  गाँव खाली । आप शहर जाओ विदेश जाओ पैसा गाँव में लगाओ गाँव सजेगा संवरेगा  सुरक्षित संरक्षित रहे