संदेश

सितंबर 28, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ज्योतिष कर्तव्य व्यवहार

शास्त्र भी तीन प्रकार के हैं-ज्योतिष शास्त्र, कर्तव्य शास्त्र और व्यवहार शास्त्र। एक ही मुहूर्त में अनेकों जातक जन्मते हैं किन्तु सब अपना किया-दिया-लिया ही पाते हैं। जैसा भोग भोगना होगा वैसे ही योग बनेंगे। जैसा योग होगा वैसा ही भोग भोगना पड़ेगा यही है जीवन।

श्री चंद्र कूट वासिनी और श्री घण्डियाल देबता सिद्ध पीठ