ज्योतिष कर्तव्य व्यवहार

शास्त्र भी तीन प्रकार के हैं-ज्योतिष शास्त्र, कर्तव्य शास्त्र और व्यवहार शास्त्र। एक ही मुहूर्त में अनेकों जातक जन्मते हैं किन्तु सब अपना किया-दिया-लिया ही पाते हैं। जैसा भोग भोगना होगा वैसे ही योग बनेंगे। जैसा योग होगा वैसा ही भोग भोगना पड़ेगा यही है जीवन।

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