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उजाड़ होती सृजित संपत्ति

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  1986-87 में एक शिशु मंदिर की स्थापना जामणीखाल में हुई समुचित सरकार और समुचित व्यवस्था तथा समिति और जनता के चन्दे से संपत्ति सृजित तो हुई  परन्तु  आज इस भवन पर न शिक्षक और न शिक्षा ग्रहण करने वाले, उजाड़ हो चुके इस भवन पर लोगों के द्वारा छोड़े गए निराश्रित पशु थोड़ी देर के लिए ही सही  विश्राम |

कलेउ लेता किसान

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 पहाड़ की संस्कृति अभी भी जिवित है भले ही इस संस्कृति को जिवितता बनाये रखने वाले कुछ गिनती के लोग  क्यों न हो लेकिन है खेत में हल लगाने के बाद कलेउ लेता किसान

निराश्रित पशु धन की शरणस्थली जामणीखाल

 

खासपटटी से उतराखंड राज्य आन्दोलन कारी

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मेरा गाँव

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कांतेश्वर जलधारा

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 ग्राम नागचौंड के नागेश्वर महादेव से  लगभग 300 मीटर उपर कांतेश्वर जलधारा है और  मंदिर के पास 50 मीटर दूरी पर मांतेश्वर जलधारा है  सतयुग में इस जलधारा के उपर हिमालय था जो अब बदरीनारायण से भी आगे दिखाई देता इस जलधारा का जल नागेश्वर महादेव को  9 कुण्डो से प्रवाहित होता था  पर आज भी इस जलधारा का जल स्वत ही गंगा जलधारा है इसी जलधारा से भोगवती नदी निकलती है जो  गाँव जरोला होकर पलेठी वनगढ होकर भागीरथी नदी में मिलती आज बरसाती गधेरा  दिखती कांतेश्वर मांतेश्वर महादेव चंपावत में है और  कांतेश्वर मांतेश्वर जलधारा खासपटटी के नागचौंड गाँव के नागेश्वर महादेव के आसपास |

उत्तराखंड टोपी

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