पहाड़ की संस्कृति अभी भी जिवित है भले ही इस संस्कृति को जिवितता बनाये रखने वाले कुछ गिनती के लोग क्यों न हो
लेकिन है खेत में हल लगाने के बाद कलेउ लेता किसान
नदी घाटी और पहाड़ समाचार पत्र मे आपका स्वागत । देखे पढ़े लिखे जन गण मन की आवाज। सूचना एक संवेदनशील तथ्य ।आपके आसपास के शब्दो की खबर -सम्पादक -शीशपाल सिंह रावत। जरोला-जामणीखाल टिहरीगढवाल उतराखंड भारत 249122
पहाड़ की संस्कृति अभी भी जिवित है भले ही इस संस्कृति को जिवितता बनाये रखने वाले कुछ गिनती के लोग क्यों न हो
ग्राम नागचौंड के नागेश्वर महादेव से लगभग 300 मीटर उपर कांतेश्वर जलधारा है और मंदिर के पास 50 मीटर दूरी पर मांतेश्वर जलधारा है सतयुग में इस जलधारा के उपर हिमालय था जो अब बदरीनारायण से भी आगे दिखाई देता इस जलधारा का जल नागेश्वर महादेव को 9 कुण्डो से प्रवाहित होता था पर आज भी इस जलधारा का जल स्वत ही गंगा जलधारा है इसी जलधारा से भोगवती नदी निकलती है जो गाँव जरोला होकर पलेठी वनगढ होकर भागीरथी नदी में मिलती आज बरसाती गधेरा दिखती कांतेश्वर मांतेश्वर महादेव चंपावत में है और कांतेश्वर मांतेश्वर जलधारा खासपटटी के नागचौंड गाँव के नागेश्वर महादेव के आसपास |
आज इस सड़क पर लोग चर्चा कर रहे थे कि सड़क आगे बढेगी।